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Gau Sewa

सुरभि गौधाम ओरछा में वर्तमान में 900 गौवंश का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। प्रारम्भ में गौशाला में सभी गाये बुन्देलखण्ड में पायी जाने वाली भारतीय देशी नस्ल की केनकाठा नस्ल की गाय थीं जो निराश्रित एवं वेहद कमजोर गाय थी। समय के अन्तराल में लोगों का गायों के प्रति आकर्षण बढ़ा। इस वावत् भारतीय देशी नस्ल के गिर, साहीवाल एवं थारपारकर नस्ल के नंदियों से गायों का गर्भाधान कराया गया , जिसे नस्ल की सुधार के साथ अच्छी स्वस्थ्य बछड़ियों का जन्म हुआ।

वुन्देलखण्ड की केनकाठा नस्ल की जो गाय 1/1-2 लीटर दूध देती थी। उन्ही की सन्ताने आज गौशाला में 5 से 6 लीटर दूध एक समय में देती है। इस समय गौशाला में गिर, थारपारकर, साहीवाल, हरियाणी नस्ल की गाये एवं साड़ विद्यमान है। वुन्देलखण्ड की निराश्रित, वृद्व, बीमार गायों के साथ गौशाला में लगभग 300 दूध देने वाली उच्च नस्ल की तैयार हो गयी है।

350 निराश्रित वृद्ध वीमार बुन्देलखण्ड के गौवंश के साथ 150 से अधिक नन्दी विद्यमान है। समस्त गायों का नस्ल, उम्र, लिंग एवं स्वस्थ्य के आधार पर वर्गीकरण कर अलग शेडों में रखा गया है। गायों के उपयाचार हेतु अस्पताल एवं दवाओं सहित डॉक्टर की व्यवस्था गौशाला में है। गायों को उनके मौसम के अनुसार ठण्ड लगने का ध्यान रखकर शेडों को अनुूकूल बनाया गया है। सभी शेड़ पक्के हवादार धूप एवं पानी से सुरक्षित पक्के फर्स युक्त आधुनिक सुविधायों का ध्यान रखकर बनाया गया है।